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Thursday, March 25, 2010

Sri Durga Devi Kavach / श्री दुर्गा देवि कवचम्

ईश्वर उवाच ।

श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत संकटात् ॥ १॥

अज्ञात्वा कवचं देवि दुर्गामंत्रं च यो जपेत् ।
स नाप्नोति फलं तस्य परं च नरकं व्रजेत् ॥ २॥

उमादेवी शिरः पातु ललाटे शूलधारिणी ।
चक्षुषी खेचरी पातु कर्णौ चत्वरवासिनी ॥ ३॥

सुगंधा नासिके पातु वदनं सर्वधारिणी ।
जिह्वां च चंडिकादेवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा ॥ ४॥

अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ।
हृदयं ललितादेवी उदरं सिंहवाहिनी ॥ ५॥

कटिं भगवती देवी द्वावूरू विंध्यवासिनी ।
महाबला च जंघे द्वे पादौ भूतलवासिनी ॥ ६॥

एवं स्थितासि देवि त्वं त्रैलोक्ये रक्षणात्मिका ।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे देवि नमोस्तुते ॥ ७॥

॥ इति दुर्गाकवचं संपूर्णम् ॥

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Ishvara uvAcha

shrRuNu devi pravakShyAmi kavachaM sarvasiddhidam
paThitvA pAThayitvA cha naro muchyeta saNkaTAt [1]
agnAtvA kavachaM devi durgAmantraM cha yo japet
sa nApnoti phalaM tasya paraM cha narakaM vrajet [2]
umAdevI shiraH pAtu lalATe shooladhAriNI
chakShuShI khecharI pAtu karNau chatvaravAsinI [3]
sugandhA nAsike pAtu vadanaM sarvadhAriNI
jihvAM cha chanDikAdevI grIvAM saubhadrikA tathA [4]
ashokavAsinI cheto dvau bAhU vajradhAriNI
hRidayaM lalitAdevI udaraM simhavAhinI [5]
kaTiM bhagavatI devI dvAvooru vindhyavAsinI
mahAbalA cha janghe dve pAdau bhUtalavAsinI [6]
evaM sthitAsi devi tvaM trailOkye rakShaNAtmikA
rakSha mAm sarvagAtreShu durge devi namostute [7]

iti durgAkavacham sampUrNam

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